देश के मशहूर पर्यावरण प्रेमी सुंदरलाल बहुगुणा अब हमारे बीच नहीं हैं। उनका एम्‍स में कोरोना का इलाज चल रहा था।

 चिपको आंदोलन के जरिए वो हमेशा ही याद रखे जाएंगे। उन्‍होंने पेड़ो को सुरक्षा प्रदान करने के मकसद से शुरू इस आंदोलन को जनआंदोलन में बदल दिया था। उनके ही आह्वान पर उत्‍तराखंड में स्‍थानीय लोग पेड़ों को काटने से रोकने के लिए उनके साथ चिपक कर खड़े हो गए थे। उन्‍होंने देश ही नहीं बल्कि इस धरती पर मौजूद समस्‍त वनों के संरक्षण के लिए लोगों को प्रेरित किया था। 

प्रकृति से बेहद गहरा लगाव था

सुंदरलाल बहुगुणा का नदियों, वनों व प्रकृति से बेहद गहरा लगाव था। वो पारिस्थितिकी को सबसे अधिक फायदे का सौदा मानते थे। वह इस बात के भी पक्षधर थे कि उत्तराखंड में बिजली की जरूरत पूरी करने के लिए छोटी-छोटी परियोजनाओं को लगाया जाए। हालांकि वो इस पहाड़ी राज्‍य में टिहरी जैसी बड़ी परियोजनाओं के पक्षधर नहीं थे। इसके विरोध में उन्‍होंने आंदोलन भी शुरू किया था। पर्यावरण को बचाने के लिए उन्‍होंने जंगलों को सरंक्षित करने पर जोर दिया।