अस्पतालों में सर्जरी टलीं, घरों में पानी नहीं, आर्मी बुलानी पड़ी; हाईकोर्ट में आज चीफ इंजीनियर की पेशी

चंडीगढ़ में सोमवार रात से बिजली संकट जारी है। रिपोर्ट्स की मानें तो गुरुवार तक बिजली मिलने की उम्मीद नहीं है। स्थिति ये है कि इनवर्टर और मोबाइल भी अब डिस्चार्ज हो चुके हैं, जिससे लोग परेशान हैं। हालात इतने खराब है कि अस्पतालों ने ऑपरेशन टाल दिए हैं। निजीकरण के विरोध में हड़ताल कर रहे कर्मचारी फाल्ट सुधारने तैयार नहीं हैं। ऐसे में हालात से निपटने के लिए प्रशासन ने सेना बुलाई है। वहीं, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस समस्या का संज्ञान लिया और आज बिजली विभाग के चीफ इंजीनियर को पेश होने के लिए कहा है।

प्रशासन ने मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस , वेस्टर्न कमांड, चंडी मंदिर से मदद मांगी है। वहीं पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से भी सहयोग मांगा जा रहा है। इससे पहले हाईकोर्ट में प्रशासन ने कहा था कि पंजाब ने डेपुटेशन पर कर्मी भेजने में असमर्थता जताई थी।

revolution against privatisation
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चंडीगढ़ में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल से बिजली सेवाएं ठप हैं। जिस वजह से सरकारी अस्पतालों में सर्जरियां टाली जा चुकी हैं। वहीं PGI भी अलर्ट मोड पर चला गया है ताकि कोई इमरजेंसी के हालात पैदा न हों। इसके बावजूद अभी तक शहर के हालात नहीं सुधरे हैं। आधे से ज्यादा शहर अंधेरे में है। लोगों के मोबाइल, लैपटॉप, फ्रिज, टीवी, इनवर्टर आदि सब बंद पड़े हैं। दुकानों में भी लोगों के काम प्रभावित हो रहे हैं। अगर दो दिन और ऐसे हालात झेलने पड़े तो दिक्कत हो जाएगी।

strike of powercom
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चंडीगढ़ स्वास्थ्य सेवा निदेशक डॉ सुमन सिंह ने कहा: “हमारे पास जनरेटर की तरह एक बैकअप योजना है, लेकिन आप एक जनरेटर पर अस्पताल का 100 प्रतिशत भार नहीं डाल सकते हैं। इसलिए, हमें अपनी सर्जरी को स्थगित करना पड़ा।”

सोमवार शाम से चंडीगढ़ के हजारों घरों में बिजली-पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है और शहर के कई इलाकों में ट्रैफिक लाइटें काम नहीं कर रही हैं। जिससे ट्रैफिक व्यवस्था भी बिगड़ चुकी है।

military emergency services called upon

बिजली कटौती के कारण ऑनलाइन कक्षाएं और कोचिंग संस्थान भी बंद हैं। मोबाइल चार्ज न होने की वजह लोगों को भारी मुश्किल झेलनी पड़ रही है।

बिजली विभाग के निजीकरण का बिजली कर्मचारी विरोध कर रहे हैं। केंद्र शासित प्रदेश के सलाहकार धर्मपाल ने बिजली कर्मचारी संघ के साथ बैठक कर हड़ताल खत्म करने के लिए राजी किया, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है। प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को डर है कि निजीकरण से उनकी सेवा शर्तों में बदलाव आएगा और बिजली दरों में बढ़ोतरी होगी।

कर्मचारियों की यूनियन अपनी मांग पर अडिग है। वह विभाग का निजीकरण नहीं चाहते। इससे पहले मंगलवार को परेड ग्रांउड सेक्टर 17 के सामने पॉवरमैन यूनियन के प्रदर्शन में कांग्रेस और AAP के नेताओं ने आकर इसे बड़ा रूप दे दिया था। प्रशासन और कर्मचारियों की इस लड़ाई में नियमित रुप से बिजली के बिलों का भुगतान करने वाले शहरवासियों को दिक्कतें झेलनी पड़ रही है।