black-fungus jalandhar
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 जालंधर में कोरोना के साथ ब्लैक इंफेक्शन यानी मुकोर्माइकोसिस फंगल इंफेक्शन (ब्लैक फंगस) का भी अटैैक शुरू हो गया है। अब तक जालंधर में ब्लैक फंगस के 21 मरीज रिपोर्ट हो चुके है। इनमें से ज्यादातर मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं जबकि एक मरीज की मौत हो गई और एक की आंख निकालनी पड़ी। एक अन्य मरीज की आंख पर असर पड़ा है। चार मरीज अभी भी अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं। ये सभी मरीज डेढ़ महीने के अंतराल में रिपोर्ट हुए।

कोरोना के बाद एक और महामारी के अटैक के बाद सिविल अस्पताल में फिलहाल इलाज की सुविधा नहीं है। जालंधर के निजी अस्पतालों में जरूर सुविधा उपलब्ध है और मरीज ठीक भी हो रहे हैं। केस रिपोर्ट होने के बाद सेहत विभाग निजी अस्पतालों पर निगरानी भी रख रहा है।

हांडा न्यूरो अस्पताल के डायरेक्टर डा. सुमेश हांडा छह मरीजों का इलाज कर चुके है। इनमें से कपूरथला के एक 60 साल के बुजुर्ग की आंख खराब हो गई थी। आपरेशन कर आंख निकाल दी है। एक माह पहले हिमाचल प्रदेश के ऊना में रहने वाले 45 साल के व्यक्ति की भी मौत हो गई थी।

एपेक्स अस्पताल के डा. कर्णबीर सिंह ने कहा कि हाल ही में गांधी कैंप की 45 साल की महिला को दाखिल किया गया। उसे शुगर की बीमारी है. जांच में उसे मुकोर्माइकोसिस फंगल इंफेक्शन होने की पुष्टि हुई है। अस्पताल के डाक्टरों की टीम ने आपरेशन कर उस पर काबू पाया है। बीमारी की वजह से उसकी एक आंख प्रभावित हुई है।

पटेल अस्पताल के डा. शमित चोपड़ा ने बताया कि पिछले माह से अब तक अस्पताल में दस मरीज सामने आए। इनमें से दो की पुष्टि नहीं हो पाई। बीमारी दिमाग और आंखों पर असर करती है। शुगर के मरीजों में इस बीमारी की दर ज्यादा सामने आई है। बीमारी काफी पुरानी है, परंतु कोरोना की वजह से मरीजों की संख्या तेजी से बढऩे लगी है। अस्पताल से ज्यादातर मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं। कुछ मरीजों का इलाज चल रहा है।

सिविल सर्जन डा. बलवंत सिंह का कहना है कि मुकोर्माइकोसिस फंगल इंफेक्शन के इलाज की सुविधा सिविल अस्पताल में नहीं मिल रही। सिविल अस्पताल को पूरी तरह से कोविड केयर सेंटर में तब्दील किया जा चुका है। अगर मरीज अस्पताल में आते है तो उन्हेंं सरकारी मेडिकल कालेज अमृतसर या फिर पीजीआई में रेफर किया जाएगा। जिले में आने वाले मरीजों की जानकारी के लिए जिला परिवार कल्याण अधिकारी डा. रमन गुप्ता को जिम्मेवारी सौंपी है। जिला प्रशासन व सेहत विभाग के आला अधिकारियों के साथ तालमेल कर मरीजों के इलाज पर निगरानी रखी जा रही है।